मैं सांस लेता हूं तेरी खुशबू आती है
Thursday, November 13, 2014
मित्र की परख
मित्र की परख विपत्ति में होती है , शूरवीर की युद्ध में , ईमानदारी की कर्ज में और स्त्री की जब धन समाप्त हो जावे .
- नमालूम
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment