Monday, November 17, 2014

तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही

तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
जब कि मेरा रूप तुम्हारी आँखों में सुन्दर है ,

और मेरे होठों पर हंसी है
मेरे केशों में कान्ति-----
तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
तब तक कौन जीना चाहेगा
जब कि प्यार के पास शेष रह जाए
न कुछ मांगने को , न कुछ देने को
मैं मर जाना चाहती हूँ ---

-  - शेखर - एक जीवनी - से

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