तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
जब कि मेरा रूप तुम्हारी आँखों में सुन्दर है ,
और मेरे होठों पर हंसी है
मेरे केशों में कान्ति-----
तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
तब तक कौन जीना चाहेगा
जब कि प्यार के पास शेष रह जाए
न कुछ मांगने को , न कुछ देने को
मैं मर जाना चाहती हूँ ---
- - शेखर - एक जीवनी - से
जब कि मेरा रूप तुम्हारी आँखों में सुन्दर है ,
और मेरे होठों पर हंसी है
मेरे केशों में कान्ति-----
तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
तब तक कौन जीना चाहेगा
जब कि प्यार के पास शेष रह जाए
न कुछ मांगने को , न कुछ देने को
मैं मर जाना चाहती हूँ ---
- - शेखर - एक जीवनी - से
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