वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ न करे
मैं तुझे भूल कर भी जिंदा रहूँ ख़ुदा न करे
रहेगी तेरी याद मेरे साथ ज़िन्दगी बनकर
ये और बात है कि मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे
इन आँखों से तेरे नाम की बारिश हो पत्थर नहीं इंसान बना दे या अल्लाह
सहमा दिल, टूटी कश्ती , चढ़ता दरिया
हर मुश्किल आसां बना दे या अल्लाह
चाँद सितारे झुक कर क़दमों को चूमे
ऐसा हिन्दुस्तान बना दे या अल्लाह
आजकल मैं भी वही हूँ जो दुनिया है
अँधेरे में फिर उजाले मांगते हैं
लहू में रात वाले मांगते हैं
तुम्हारे पाँव गुल, कूचे हिना के
हमारे पाँव छाले मांगते हैं
मैं एक छाया हूँ , एक स्वप्न, एक निराकार आक्रोश, एक वियोग, एक रहस्य --- भावना से भावना तक भटकता हुआ एक विचार -- हर जगह आग देता हुआ और स्वयं ज्वाला में झुलसता हुआ , जल उठता हुआ, निरंतर उठता हुआ , उठता हुआ , न बुझता हुआ , न मरता हुआ ------
तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
जब कि मेरा रूप तुम्हारी आँखों में सुन्दर है ,
और मेरे होठों पर हंसी है
मेरे केशों में कान्ति-----
तुम्हारे प्यार के रहते हुए ही मैं मर जाना चाहती हूँ
तब तक कौन जीना चाहेगा
जब कि प्यार के पास शेष रह जाए
न कुछ मांगने को , न कुछ देने को
मैं मर जाना चाहती हूँ ---
हम दोनों वर्षों से एक भवन बनाते रहे हैं, तुम और मैं जिसमें न तुम रहोगे , न मैं ---- किन्तु हम उसमें नहीं रहेंगे इसी मात्र से वह कम सुन्दर नहीं होगा .......
प्यार एक कला है और कला संयम का दूसरा नाम है. और इसकी व्याख्या की गयी थी
किसी भी एक व्यक्ति को इतना प्यार नहीं करना चाहिए कि जीवन में किसी दूसरे
उद्देश्य की गुंजाईश न रह जाए - कि जीवन एक स्वतंत्र इकाई है और यदि वह
बिलकुल पराधीन हो जाये तो यह कला नहीं है , क्योंकि कला आदर्श से उतरकर है.
मेरे दोस्त ! जिस तरह हर रात की एक सहर होती है , खिजां के बाद बहार आती
है, इसी तरह ग़मों के बाद खुशियाँ जरूर मिलती हैं. कभी नउम्मीद मत होना कि
हम भी इसी आसमान के नीचे जरूर मिलेंगे .
एक बार जो दिल में बस गया सो बस गया . प्यार तो जंगल की वह आवारा व्
मदमस्त हवा है , जो एक बार दिल को छूकर निकल जाती है फिर दिल जीवन भर उसकी
यादों में तरसता रहता है .
प्यार, सम्बन्ध ,व्यवहार ,आत्मीयता यह सब प्रवंचना के भिन्न-भिन्न शारीर
हैं. निस्वार्थ स्नेह , मित्रता या सम्बन्ध नाम की कोई चीज नहीं है इस
दुनिया में. स्वार्थ के कांटे में प्रेम का आटा लगाकर मछलियाँ फ़साना ही
बुद्धिमत्ता का प्रतीक है. पैसा, पैसा ,पैसा और केवल पैसा ही दुनिया का
पहला और अंतिम सत्य है