मैं एक छाया हूँ , एक स्वप्न, एक निराकार आक्रोश, एक वियोग, एक रहस्य --- भावना से भावना तक भटकता हुआ एक विचार -- हर जगह आग देता हुआ और स्वयं ज्वाला में झुलसता हुआ , जल उठता हुआ, निरंतर उठता हुआ , उठता हुआ , न बुझता हुआ , न मरता हुआ ------
- - शेखर - एक जीवनी - से
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