पास कलाई के आकर चूड़ी टूट गयी
वैसे ही बन -बन कर मेरी क़िस्मत फूट गयी
मैं इस तपती दोपहरी में, ऐसा थका
हुआ राही हूँ , स्टेशन पर जाकर गाड़ी छूट गयी
- नमालूम
वैसे ही बन -बन कर मेरी क़िस्मत फूट गयी
मैं इस तपती दोपहरी में, ऐसा थका
हुआ राही हूँ , स्टेशन पर जाकर गाड़ी छूट गयी
- नमालूम
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