दरवाजे पर दहशत है तो कमरों में उदासी
मुद्दत से कोई हँसता हुआ घर नहीं देखा
ऊपर से सटे तो लगते हैं , अन्दर से कटे हैं
अलगाव का ऐसा कभी मंजर नहीं देखा
- नमालूम
मुद्दत से कोई हँसता हुआ घर नहीं देखा
ऊपर से सटे तो लगते हैं , अन्दर से कटे हैं
अलगाव का ऐसा कभी मंजर नहीं देखा
- नमालूम
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