Friday, November 14, 2014

मेरे दोस्त !

मेरे दोस्त ! जिस तरह हर रात की एक सहर होती है , खिजां के बाद बहार आती है, इसी तरह ग़मों के बाद खुशियाँ जरूर मिलती हैं. कभी नउम्मीद मत होना कि हम भी इसी आसमान के नीचे जरूर मिलेंगे .

- नमालूम

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