मसर्रत पे रिवाजों का सख्त पहरा है
न जाने किस उम्मीद पे ये दिल ठहरा है
मेरी आँखों में छलकते हुए इस ग़म की कसम
ऐ दोस्त दिल का रिश्ता बहुत ही गहरा है
- नमालूम
न जाने किस उम्मीद पे ये दिल ठहरा है
मेरी आँखों में छलकते हुए इस ग़म की कसम
ऐ दोस्त दिल का रिश्ता बहुत ही गहरा है
- नमालूम
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