तुम अपने सुख से सुखी रहो , मुझको दुःख पाने दो स्वतंत्र
मन की परवशता महादुःख मैं यही जपूंगा महामंत्र
लो चला आज मैं छोड़ यही संचित संवेदन भार पुंज
मुझको कांटे ही मिले धन्य ! हो सफल तुम्हें ही कुसुम कुञ्ज
- नमालूम
मन की परवशता महादुःख मैं यही जपूंगा महामंत्र
लो चला आज मैं छोड़ यही संचित संवेदन भार पुंज
मुझको कांटे ही मिले धन्य ! हो सफल तुम्हें ही कुसुम कुञ्ज
- नमालूम
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