Thursday, December 4, 2014

होके मायूस न यों शाम से ढलते रहिये

होके मायूस न यों शाम से ढलते रहिये
ज़िन्दगी भोर है सूरज से निकलते रहिये
एक ही पाँव पे ठहरोगे तो थक जाओगे
धीरे,धीरे ही सही राह पर चलते रहिये

- नमालूम

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