मैं सांस लेता हूं तेरी खुशबू आती है
Friday, December 26, 2014
एक क़तरे की तलब
हम पपीहे हैं हमें है एक क़तरे की तलब
हम कहाँ ले जाएँ इस मसहर नुमा बरसात को
- नमालूम
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