टुकड़े-टुकड़े दिन बीता धज्जी-धज्जी रात मिली
जिसका जितना आँचल था उतनी ही सौगात मिली
जब चाहा हमको समझे हंसने की आवाज़ मिली
जैसे कोई कहता हो जा 'परमा' फिर से तुझको मात मिली
- नमालूम
जिसका जितना आँचल था उतनी ही सौगात मिली
जब चाहा हमको समझे हंसने की आवाज़ मिली
जैसे कोई कहता हो जा 'परमा' फिर से तुझको मात मिली
- नमालूम
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