मैं सांस लेता हूं तेरी खुशबू आती है
Sunday, April 12, 2015
बैठे हैं शाम से
बैठे हैं शाम से तेरे दर पे सहर हुई
अफ़सोस ऐ ! क़मर न क्यों मुतलक ख़बर हुयी
-नमालूम
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