होगा हर एक आह से महशर बपा 'रसा'
आशिक का तेरे होश में आना नहीं अच्छा
फसल-ए-गुल में भी रिहाई कि न कुछ सूरत हुई
क़ैद में सय्याद मुझको एक ज़माना हो गया
- नमालूम
आशिक का तेरे होश में आना नहीं अच्छा
फसल-ए-गुल में भी रिहाई कि न कुछ सूरत हुई
क़ैद में सय्याद मुझको एक ज़माना हो गया
- नमालूम
No comments:
Post a Comment