Sunday, April 12, 2015

मकतबे इश्क

मकतबे इश्क में इक ढंग निराला देखा
उसको छुट्टी न मिली जिसको सबक याद हुआ
- नमालूम

1 comment:

  1. ये शेयर यूँ है जनाब और शायर हैं मीर तहिर अली रिज़वी(ये जानकारी गूगल से मिली है)
    मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा
    उस को छुट्टी न मिली जिस को सबक़ याद हुआ।
    मीर ताहिर अली रिज़वी

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