Wednesday, April 1, 2015

तुम्हें याद है, कॉलेज छोड़ते समय कॉलेज के अंतिम दिन

तुम्हें याद है, कॉलेज छोड़ते समय कॉलेज के अंतिम दिन तुमने मेरी ऑटोग्राफ बुक में लिखा था . सत्येन्द्र कभी-कभी लगता है , मेरे मन में इतने तूफ़ान हैं , जितने शायद इस समूचे संसार में नहीं हैं..... पर लगता है. मैं अब पर्वतीय झरना नहीं हूँ . मैं दिनों दिन एक तालाब में बदल रही हूँ तालाब महदूद है. शायद कुछ ही दिनों में मेरा जीवन सांझ की तरह शांत हो जाए. पर सत्येन्द्र तुम भी तो दूसरों से अलग आदमी थे. तुम्हें भी तो दुनिया ने रस्सियों से बाँध लिया है.

- नमालूम

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