एक इंसान के लिए दूसरे इंसान का मन एक अँधियारा कमरा होता है. कई बार
इंसान चाहता है कि मोमबत्ती ले जा कर दूसरे के मन में झाँक आये. परन्तु
नहीं ऐसी घिनोनी हरकत करने की अनुमति संसार हमें नहीं देता. हर एक इंसान के
लिए मन का यह अँधियारा अपना होता है. वह बचपन से लेकर मरण तक उसमें न जाने
कितनी चीजें एकत्र करता रहता है.
- नमालूम
- नमालूम
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