न दिन को सुकून है शाकिर
न रात को सुकून है
ये कैसा हम पे उम्र इश्क़ का जुनून है
जो रचाए हैं तूने हाथ मेंहदी से
वो मेंहदी नहीं मेरे दिल का खून है
- नमालूम
न रात को सुकून है
ये कैसा हम पे उम्र इश्क़ का जुनून है
जो रचाए हैं तूने हाथ मेंहदी से
वो मेंहदी नहीं मेरे दिल का खून है
- नमालूम
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