Friday, April 3, 2015

जलती बुझती सी रौशनी के परो

जलती बुझती सी रौशनी के परो
सिमटा-सिमटा सा एक मकाँ तन्हा है
राह देखा करोगे सदियों तक
छोड़ जायेंगे ये जहाँ तन्हा है
- नमालूम

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