Monday, April 6, 2015

कहाँ से आये तुम मेरी ज़िन्दगी में

कहाँ से आये तुम मेरी ज़िन्दगी में
क्या पता आसमां से या जमीं से
आये होते न तुम इस जमीं पर कभी
समझ न पाते इस ज़िन्दगी को कभी

क्या होती है ज़िन्दगी जाने आज हम
तुम्हें खोकर जाने बस यही है आज ग़म
लगता है हमें तुम्हें खोकर अभी
कोई प्यार करे न राहगीरों से कभी
- नमालूम

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