Sunday, April 5, 2015

तुमसे मिले बिन चैन नहीं आता मैं क्या करूँ

तुमसे मिले बिन चैन नहीं आता मैं क्या करूँ
मुझे तो ये कहना भी नहीं आता मैं क्या करूँ
मुश्किल से मैंने इस दिल को संभाला
दिल ने मुझे किस मुश्किल में डाला
ये मुश्किल आसान नहीं होती क्या करूं

दिल में बसा हो जब और कोई
चलता नहीं दिल पर जोर कोई
इस साहिल से तूफां नहीं रुकते मैं क्या करूँ
- नमालूम

No comments:

Post a Comment