Wednesday, April 1, 2015

मुझे प्रकृति के सौन्दर्य से ऐसी आत्मीयता भी मिली है

मुझे प्रकृति के सौन्दर्य से ऐसी आत्मीयता भी मिली है , नंदनी जब भी मैं प्रकृति के गोद में अकेला होता हूँ तो मुझे लगता है कि कोई प्रियजन मेरे पार्श्व में है और मुझसे मधुर-मधुर बोल रहा है. मैंने अपने जीवन में प्रत्येक मानव को इसी तरह देखा है जैसे किसी कला कृति को देखा जाता है कला किसी एक इंसान की संपत्ति नहीं है . कला प्रत्येक नए दर्शक के लिए नया जन्म लेती है. वह प्रकृति के सौन्दर्य की भांति सबके लिए है.

- नमालूम

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