Saturday, April 11, 2015

प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा

प्रेम को ढाई अक्षर का कैसे कहूँ
प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
प्रेम होता है दिखता नहीं है मगर
प्रेम की ही धुरी पर ये होता है खड़ा
- नमालूम

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