Monday, January 5, 2015

ज़िन्दगी राह भी, राही भी

ज़िन्दगी राह भी, राही भी, सफ़र भी लेकिन
जिनको चलना नहीं आता कुचले जाते हैं

- नमालूम

No comments:

Post a Comment